Tuesday, July 17, 2012

Was Gandhi A Homo- क्या गाँधी समलैगिक (होमो) थे ???

Was M. K. Gandhi A Homo

क्या गाँधी समलैगिक (होमो) थे ???



                          

                              


जोसेफ लेल्य्वेल्ड की इंग्रजी में लिखी किताब (Great Soul) "महान आत्मा" के अनुस्सर महात्मा गाँधी को समलैगिक के रूप में दर्षाया गया है  !!!
महात्मा गाँधी अपने आश्रम में जवान औरतों के साथ कोई भी शारीरिक क्रिया किये बगैर नग्न सोता था, उसने तो उसके भतीजे की १९ साल की बेटी मनु गाँधी, और भतीजे के बेटे की १६ साल की बीवी अभा गाँधी को भी नहीं छोड़ा .
ईस किताब के जरिये, गाँधी के शारीरिक संबंध ना करने के कारन, कुछ और ही बताये गए है.
गाँधी के लिखे हुए २४ सितम्बर १९०९ के खत से पता चलता है की उस गाँधी को एक हस्त-पुस्त जर्मन-जिविश बॉडी बिल्डर हेर्मन्न कल्लेंबच से लगाव हो गया था. जिसके लिए उसने अपने बीवी को छोड़ दिया. १९०८ से १९१० के बिच गाँधी और हेर्मन्न कल्लेंबच का प्यार बड़े गहरे मोड़ पर था .
तस्वीर में जवान गाँधी और जर्मन-जीव हेर्मन्न कल्लेंबच दिखाई दे रहे है.
मी. लेल्य्वेल्ड पूरी तरह से यह साबित करता है की, गाँधी जब नग्न जवान औरतो के साथ सोता था, तो उसके गुप्त अंग यक़ीनन काम नहीं करते होंगे  कारन, उस गाँधी को जेर्मन-जिविश हस्त-पुश्त हेर्मन्न कल्लेंबच से प्यार हो गया था. वो भी इस कदर की गाँधी ने उस हेर्मन्न के लिए अपने बीवी को १९०८ में छोड़ दिया था.
२४ सितम्बर १९०९ में गाँधी ने अपने हस्तलिखित ख़त में, हेर्मन्न कल्लेंबच को लिखा है की, एक तुम्हारा ही चित्र मेरे शयन कक्ष में अग्निखोश के उपर रखा है, और वह अग्निखोश मेरे पलंग के एकदम सामने है.
आगे यह लिखता है की, वह अविनाशी दंथ्खुदनी भी वहाँ पर रखी है. कपास और वसलिन मुझे आप की निरंतर याद दिलाते है.
(लेल्य्वेल्ड लिखता है की, वह कौनसा कारन होगा जो, कपास और वसलिन ये गाँधी को हस्त-पुस्त जेर्मन-जेविश हेर्मन्न कल्लेंबच की याद दिलाती है.)
गाँधी आगे लिखते है की, जो-जो मेरा पेन अक्षर लिखते जाता है, तब-तब मुझे तुम्हारी याद आती है. इसलिए चाहकर भी मैं तुम्हे अपने विचारोसे नहीं नीकाल सक्ता.”
गाँधी उस हेर्मन्न से कहते ही की, में ऐसी कोई बात सोच नहीं सक्ता जो स्त्री और पुरुष के सम्भोग से घिनौनी हो.
जब गाँधी १९१४ को भारत में भारत का सत्यानाश करने आते है तब वे एक दुसरे से बिचड जाते है. हेर्मन्न को पहिला विश्व युद्ध के कारण भारत में आने से रोक दिया जाता है. तभी वे खतो जरिये अपना प्यार जारी रखते थे. १९३३ में लिखे हुए ख़त में वो अपने बीवी को सबसे जहेरीली औरत कहते है.
ईस किताब के जरिये यह भी पता चला है की, गाँधी ने अपने भतीजे की १९ साल की बेटी मनु गाँधी को उस जगह अपने अंग घसने का पत्थर खोजने भेजा, जहाँ पर पहेले बहुत सारे सेक्स कांड हो चुके थे. जब वो वापस आखों में आसू लिए आती है, तो वो गाँधी कहता है की, अगर कोई गुंडा तुझे उठाके ले गया होता, और तू साहसपूर्वक मौत को गले लगा लेती तो मेरा दिल खुशी से झूम उठता.
जिस किताब में पुरे सबूतों के साथ गाँधी की अस्लियत पेश की गई है, उस किताब का महाराष्ट्र सरकार विरोध करती है, और उसपर रोक लगाने की फिराख में है, मूलनिवासियो को सुनकर बड़ा क्रोध आ रहा है की, यही वो सरकार है जिसने शिवाजी महाराज के मातोश्री जिजाबाई के चरित्र पर कीचड़ उछालने वाली किताब जो भंडारकर ब्राह्मणों द्वारा बिना सबूतों के लिखी गई थी, उस पर चु तक नहीं की.
जैसे-जैसे मूलनिवासी समाज जागृत होता जायेगा, वैसे-वैसे उसे विदेशी ब्राह्मणों द्वारा मूलनिवासियों पर किये गए अत्याचारों की खबर लगती जाएगी, और जैसे-जैसे जब-जब मूलनिवासियो को अपना अस्ली इतिहास मालूम होता जायेगा वह ब्राह्मणों की गुलामी से मुक्त होता जायेगा.
गाँधी के आधे नंगे पण का राज और उसके चरखे का राज अब तक तो इंग्रजो को पता था, अब  वो बामसेफ के माध्यम से मूलनिवासी भी जानने लगा है.
यही कारन है की मूलनिवासी १० साल की एश्वर्या ने गाँधी के राष्ट्रपिता होने पर सवाल खड़ा किया.
यही कारन है की अब विदेशो में गाँधी के पुले तोड़े जा रहे है, और गाँधी के नए पुतले लगाने पर विरोध हो रहा है.
जैसे-जैसे गाँधी को विदेशो में से निकला जा रहा है, ये मनुवादी लोग हम मूलनिवासियो के उप्पर जबरन उस गाँधी को थोपते है, जैसे की असविधानिक रूप से नोट पर गाँधी का फोटो छपवाना, जैसे वो इस देश का राजा हो.
असविधानिक रूप से मूलनिवासियो के मुह से गाँधी को राष्ट्रपिता कहल्वाना, लेकिन अब मूलनिवासी मनुवादियों की चाल को समज चुका है, वो जानने लगा है की इस देश का राष्ट्रपिता कौन है.
राम और गाँधी के नाम पर ये जो ब्राह्मन हम मूलनिवासियो को आपस में लडवाता है, जब वे विदेश जाते है तो कहते है की हम बुद्ध की भूमि से आये है, क्यों की राम को तो वहाँ कोई जानता नहीं, और गाँधी की अस्लियत उन्हें पता चल चुकी है.
और इसी कारण, अब गाँधी के नाम पर बनी योजनायों का सत्त्यानाश होने लगा है.
जब तक ईस भारत देश को ब्राह्मणों से, उनके बाप गाँधी और उनकी पैदाइशो से मुक्त नहीं करते, तब तक बामसेफ, भारत मुक्ति मोर्चा और सहयोगी संगठन अपना आंदोलन जारी रखेगी. इसी में मूलनिवासियो की भलाई है.

चंद्रशेखर खोब्रागडे उनसे  ९२२४७००४८३  पर संपर्क किया जा सकता है.

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